शिवगंगा गौरी का 'गदा स्तोत्र'

            
                   
               हम शिवगंगा गौरी का 'गदा स्तोत्र' देखने वाले है। वो दिखने में शांत है! पर उसकी बाजूओं में, गदा किसी पर सिर्फ नजर से फेंकने की ताकत होती है। माँ शिवगंगा गौरी की गदा कोई भी रुप में परिवर्तित होती है। जिस चीज की, त्रिविक्रम के बच्चों को जरुरत होती है; वह उनके लिए कुछ भी बनकर आती है। आपके बदन में बिमारी है, तो वह; 'धन्वंतरी' बनके आयेगी! समुंदर में नैया बनकर आयेगी। सिर्फ "एक विश्वास असावा पुरता" हम कहते है, I believe (विश्वास होना) Trivikram! लेकिन वो faith (विश्वास) होना चाहिए! और उसके बाद उसका conviction (ठाम मत, खात्री, भरोसा) यहीं होगा, "एक विश्वास असावा पुरता" ये विश्वास, अर्थात 'दृढ विश्वास' यह 'गदा स्तोत्र' हमारी रक्षा करेगा। हमारे बच्चों के लिऐ भी काम करेगा। बच्चा सोने के बाद उसके सर पर हाथ रखकर यह स्तोत्र बोलने से 'स्तोत्र' काम करेगा! बच्चों के मन में विश्वास नहीं होगा, फिर भी यह स्तोत्र काम करेगा ही! - (सद्गुरु अनिरूद्घ बापू पितृवचन)



॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
 

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