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"Shri Shwasam - The Healing Code"

"Shri Shwasam is The Healing Code"


श्रीश्वासम्से क्या क्या अच्छा होता है ?
 इससे 12 मार्गों से 12 बातों पर उपाय होता है। क्योंकि 12 आदित्य हैं।त्रिविक्रम अदिति का पुत्र होने के कारण आदित्य ही है। आदित्य यानी अदिति का पुत्र। यानी आदिमाता के मूल रूप का पुत्र।
इससे क्या अच्छा होता है? तो
1)     Dis-ease (यानी व्याधि, सभी प्रकार की व्याधियाँ)
2)     Dis-comfort (यानी पीड़ा, सभी प्रकार की पीड़ाओं को दूर करने का सामर्थ्य इस गुह्यसूक्त में है। इस हीलिंग कोड में है।)
3)     Dis-couragement (यानी निराशा, उत्साहभंग, साहसहीनता का नाश इससे हो सकता है।)
4)     Des-pair (यानी उम्मीद हार जाना, भग्न-आशा स्थिति को प्राप्त होना, आशा का पूर्ण नाश हो चुका होना।)
5)     Depression (यानी खिन्नता, न्यूनता, मंदी या उदासपन, औदासिन्य नहीं, उदासपन।)
6)     Fear (यानी भय)
7)     Weakness (यानी दुर्बलता, यह महज़ शारीरिक Weakness नहीं, बल्कि सभी प्रकार की Weakness यह ध्यान में रखना।)
8)     Deficiency (यानी कमी, हम कहते हैं ना कि उस व्यक्ति में विटॅमिन Deficiency है यानी विटॅमिन की कमी है, जो दुरुस्त की जा सकती है।)
9)     Unrest & Trouble (यानी अशान्ति और तकलीफ़, ये दोनों भी जुड़वा हैं, ये इकट्ठा ही रहते हैं।)
10)    Grief (यानी शोक)
11)    Conflict (यानी संघर्ष)
12)    Feebleness (यानी कमज़ोरपन)

अब यह कैसे मिलेगा  आदिमाता की शक्ति, ऊर्जा इस विश् में हर एक में…… हवा में, प्रत्येक पदार्थ में, औषधि में, कृति में, विचारों में जो भरी हुई है, वह जो हीलिंग पॉवर है, उसे हम कहते हैं- ‘अरुला’, यह हीलिंग पॉवर यानीअरुला’- Arulaअरुलयह शब्द तमिल भाषा में है और उसका अर्थ भी वही है- ‘Grace’  

 अरुलायानी हीलिंग पॉवर तो यह हमारे पास कैसे आती है? तो इसे माँ ने ही बनाया है। लेकिन यह पॉवर, यह हीलिंग पॉवर जो है, यह हीलिंग ऊर्जा जो है, यह निरोगीकरण ऊर्जा है, यह मानव को हनुमानजी से प्राप्त होती है, महाप्राण से।  हनुमानजी ही केवल हमारे शरीर के सप्त चक्र हैं, उन सप्त चक्रों को यह हीलिंग ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं।  


 हनुमानजी का सामर्थ्य अपरंपार है। वे काल को भी निगल सकते हैं। 

 ‘काळानि काळरुद्रानि देखता कापती भये। ब्रह्मांडाभोवते वेढे वज्रपुच्छे करू शके।  
तयासी तुळणा कैची ब्रह्मांडी पाहता नसे। (कालाग्नि और कालरुद्राग्नि जिन्हें देखकर काँपते हैं, जो वज्र-पूँछ के अग्र से ब्रह्माण्ड को घेर लेते हैं, उन हनुमानजी की तुलना ब्रह्माण्ड में भला किस के साथ हो सकती है, ऐसा सन्त समर्थ रामदास स्वामीजी कहते हैं।)  
माँ की ऊर्जा का शुभ प्रवाह यानी हमारे लिए यहाँ हनुमानजी है। एक बार इन सप्त चक्रों में यह प्रवाह आने के बाद हमारे शरीर में जहाँ जहाँ जो बीमारी है, जहाँ व्याधि है, जहाँ प्रॉब्लेम है, वहाँ ठीक से पहुँचाने का काम हमारे शरीर की नाडियाँ करती हैं।
हनुमानजी इस ऊर्जा को शरीर में ले आते हैं, तब उस अरुला को ये त्रिविक्रम, अपनी अपनी उचित जगह, योग्य कोशिकाओं में, उचित प्रमाण में प्रदान करने का काम और उस उस चक्र के साथ, उस उस इन्द्रिय के साथ जोड़ने का काम, हमारी उस उस बाह्य परिस्थिति को भी उसके द्वारा जोड़ने का काम ये त्रिविक्रम करते हैं। और इसीलिए उसेशुभ-स्पंदन-वाहक-प्रणेताकहते हैं।

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